बार-बार गर्भपात के मुख्य कारण (Main Causes of Recurrent Miscarriage)
गर्भपात के कारणों को कई श्रेणियों में बाँटा जा सकता है:
1. भ्रूण से जुड़े कारण (Embryonic Causes)
- क्रोमोसोमल असामान्यताएँ (Chromosomal Abnormalities): यह सबसे आम कारण है। जब भ्रूण में गुणसूत्रों की संख्या गलत होती है (जैसे एक अतिरिक्त क्रोमोसोम या एक क्रोमोसोम की कमी), तो शरीर प्राकृतिक रूप से उस गर्भावस्था को समाप्त कर देता है। यह उम्र के साथ बढ़ता है, खासकर 35 वर्ष के बाद।
2. माता से जुड़े कारण (Maternal Causes)
- गर्भाशय संबंधी समस्याएँ (Uterine Abnormalities):
- सेप्टेट यूटेरस (Septate Uterus): गर्भाशय के अंदर एक दीवार या झिल्ली का होना, जो भ्रूण के implant होने और विकास में रुकावट डालती है।
- फाइब्रॉएड (Fibroids): गर्भाशय में non-cancerous tumors जो गुहा (cavity) को विकृत कर सकते हैं।
- इयूनेट सिंड्रोम (Asherman’s Syndrome): गर्भाशय में scar tissue (निशान ऊतक) का बनना।
- हार्मोनल समस्याएँ (Hormonal Issues):
- थायरॉइड विकार (Thyroid Disorders): थायरॉइड हार्मोन का असंतुलन।
- अनकंट्रोल्ड डायबिटीज (Uncontrolled Diabetes): खून में शुगर का स्तर ठीक न होना।
- प्रोजेस्टेरोन की कमी (Low Progesterone): प्रोजेस्टेरोन वह हार्मोन है जो गर्भाशय की परत को गर्भावस्था के लिए तैयार करता है। इसकी कमी से implant नहीं हो पाता।
- ऑटोइम्यून बीमारियाँ (Autoimmune Diseases):
- एंटीफॉस्फोलिपिड सिंड्रोम (APS): इस स्थिति में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (immune system) गर्भनाल (placenta) में छोटे-छोटे blood clots बना देती है, जो भ्रूण को ऑक्सीजन और पोषण की आपूर्ति रोक देती है। यह एक प्रमुख कारण है।
- थ्रोम्बोफिलिया (Thrombophilia): एक ऐसी स्थिति जिसमें रक्त के थक्के (blood clots) ज़्यादा आसानी से बनते हैं, जो भ्रूण तक रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध कर सकते हैं।
3. अन्य कारण (Other Causes)
- पिता के क्रोमोसोम में समस्या (Paternal Chromosomal Issues): कभी-कभी पिता के शुक्राणुओं में क्रोमोसोमल असामान्यताएँ हो सकती हैं।
- लाइफस्टाइल कारक (Lifestyle Factors): धूम्रपान, अत्यधिक शराब का सेवन, मोटापा, और कुछ विषैले पदार्थों (toxins) के संपर्क में आना।
- अनजान कारण (Unexplained): लगभग 50% मामलों में, सभी जाँचों के बाद भी सटीक कारण का पता नहीं चल पाता है।
बचाव और इलाज (Prevention and Treatment)इलाज सीधे तौर पर कारण पर निर्भर करता है। इसके लिए डॉक्टर से सलाह लेना बहुत ज़रूरी है।
1. मेडिकल जाँच और निदान (Medical Tests and Diagnosis)
सबसे पहले, डॉक्टर निम्नलिखित जाँचें करवाने की सलाह दे सकते हैं:
- करियोटाइप विश्लेषण (Karyotyping): माता-पिता दोनों के खून की जाँच कर यह देखना कि कहीं उनके क्रोमोसोम्स में कोई समस्या तो नहीं।
- गर्भाशय की जाँच: हिस्टेरोसोनोग्राफी (HSG) या सोनोहिस्टेरोग्राफी से गर्भाशय की आकृति की जाँच की जाती है।
- हार्मोन टेस्ट: थायरॉइड, प्रोलैक्टिन, प्रोजेस्टेरोन आदि के स्तर की जाँच।
- रक्त परीक्षण: एंटीफॉस्फोलिपिड एंटीबॉडी (APS के लिए), थ्रोम्बोफिलिया की जाँच, और डायबिटीज की जाँच।
- गर्भावस्था के ऊतक की जाँच: अगर हुआ हो, तो पिछले गर्भपात के tissue का विश्लेषण।
2. कारण-विशिष्ट इलाज (Cause-Specific Treatment)
- क्रोमोसोमल समस्या: IVF with PGT (Preimplantation Genetic Testing) की सलाह दी जा सकती है। इसमें भ्रूण को लैब में तैयार करके उसकी genetic जाँच की जाती है और केवल स्वस्थ भ्रूण को गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है।
- गर्भाशय की समस्या: हिस्टेरोस्कोपी (Hysteroscopy) नामक minimally invasive surgery से सेप्टम या फाइब्रॉएड को हटाया जा सकता है।
- एंटीफॉस्फोलिपिड सिंड्रोम (APS): गर्भावस्था के दौरान low-dose aspirin और blood thinners (heparin injections) दिए जाते हैं ताकि खून के थक्के न बनें।
- हार्मोनल असंतुलन: थायरॉइड की दवा या ओवुलेशन के बाद प्रोजेस्टेरोन सपोजिटरी/दवाएँ दी जा सकती हैं।
- लाइफस्टाइल में बदलाव: स्वस्थ वजन बनाए रखना, धूम्रपान और शराब छोड़ना, संतुलित आहार लेना और तनाव कम करना बहुत मददगार होता है।
3. भावनात्मक सहयोग (Emotional Support)
बार-बार गर्भपात एक भावनात्मक रूप से कठिन अनुभव है। इस दौरान:
- पार्टनर का सहयोग सबसे ज़रूरी है।
- परिवार और दोस्तों से बात करें।
- अगर ज़रूरत हो, तो काउंसलर या थेरेपिस्ट की मदद लें।
मिसकैरेज के बाद प्रेगनेंसी कब होती है?
गर्भपात के बाद शरीर को पूरी तरह रिकवर होने में लगभग 2–3 महीने का समय लगता है। हालांकि कुछ महिलाएँ 1 महीने बाद भी प्रेग्नेंट हो सकती हैं, लेकिन बेहतर है कि शरीर को पर्याप्त समय दिया जाए। हमेशा डॉक्टर की सलाह लेकर ही दोबारा गर्भधारण की कोशिश करनी चाहिए।
बार-बार गर्भ गिराने से क्या नुकसान होता है?
लगातार गर्भपात होने से महिला के शरीर और मन पर गहरा असर पड़ सकता है। इससे गर्भाशय कमजोर हो सकता है और बार-बार संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। भविष्य में गर्भ ठहरने में कठिनाई (Infertility) हो सकती है। इसके अलावा, बार-बार गर्भपात से मानसिक तनाव, अवसाद और आत्मविश्वास की कमी जैसी समस्याएँ भी सामने आती हैं।
मिसकैरेज का खतरा कब तक रहता है?
गर्भावस्था के शुरुआती 12 हफ्ते सबसे अधिक रिस्की होते हैं। इस समय भ्रूण सबसे संवेदनशील होता है और गर्भपात का खतरा अधिक रहता है। अगर पहला तिमाही सुरक्षित निकल जाए तो आगे मिसकैरेज की संभावना काफी कम हो जाती है।
निष्कर्ष:
बार-बार गर्भपात के पीछे कोई एक कारण नहीं होता। इसके लिए एक experienced Gynecologist या Fertility Specialist से सलाह लेना और पूरी तरह से जाँच करवाना सबसे पहला और ज़रूरी कदम है। ज़्यादातर मामलों में, सही कारण का पता लगाकर उचित इलाज किया जाए, तो सफल गर्भावस्था की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है। खुद को दोष देना या हार मान लेना गलत है। यह एक medical condition है, जिसका इलाज संभव है।